23 जनवरी, 2024 को मनाया जाने वाला पराक्रम दिवस, भारत के स्वतंत्रता संग्राम के एक प्रमुख व्यक्ति, नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती है।
23 जनवरी, 2024 को मनाया जाने वाला पराक्रम दिवस, भारत के स्वतंत्रता संग्राम के एक प्रमुख व्यक्ति, नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती है। यह दिन उनकी अदम्य भावना और भारत की स्वतंत्रता में अमूल्य योगदान का सम्मान करने के लिए मनाया जाता है। इस वर्ष राष्ट्र पराक्रम दिवस 2024 का 127वां संस्करण मना रहा है।
पराक्रम दिवस 2024 का महत्व
पराक्रम दिवस 2024, 2021 से भारत में प्रतिवर्ष मनाया जाने वाला एक राष्ट्रीय कार्यक्रम है। यह नेताजी की जयंती मनाता है और उनकी बहादुर विरासत के लिए एक श्रद्धांजलि है। यह दिन भारत के सबसे प्रतिष्ठित स्वतंत्रता सेनानियों में से एक के साहस और दृढ़ संकल्प की याद दिलाता है।
लाल किले पर पराक्रम दिवस 2024 समारोह
2024 पराक्रम दिवस समारोह का उद्घाटन 23 जनवरी की शाम को प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले में किया, जो 31 जनवरी तक चलेगा। संस्कृति मंत्रालय द्वारा विभिन्न संस्थानों के सहयोग से आयोजित इस कार्यक्रम ने ऐतिहासिक प्रतिबिंबों और जीवंत सांस्कृतिक अभिव्यक्तियों का मिश्रण करते हुए एक बहुमुखी उत्सव प्रस्तुत किया।
पराक्रम दिवस ऐतिहासिक संदर्भ
पराक्रम दिवस की उत्पत्ति
भारत सरकार ने नेताजी की वीरतापूर्ण विरासत का सम्मान करने की आवश्यकता को पहचानते हुए, आधिकारिक तौर पर 2021 में 23 जनवरी को पराक्रम दिवस के रूप में घोषित किया। यह दिन बोस के साहस और दृढ़ संकल्प का प्रतीक है, जो भावी पीढ़ियों को देशभक्ति और बलिदान के मूल्यों को बनाए रखने के लिए प्रेरित करता है।
नेताजी सुभाष चंद्र बोस: एक संक्षिप्त अवलोकन
23 जनवरी, 1897 को जन्मे नेताजी एक करिश्माई नेता थे, जिनका भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में योगदान अद्वितीय था। “पूर्ण स्वराज” (पूर्ण स्वतंत्रता) के उनके आह्वान और आज़ाद हिंद फ़ौज (भारतीय राष्ट्रीय सेना) के उनके नेतृत्व ने भारतीय जनता को औपनिवेशिक शासन के खिलाफ प्रेरित किया।
भारत पर्व और गणतंत्र दिवस की झाँकियाँ
भारत पर्व का डिजिटल लॉन्च
पराक्रम दिवस 2024 का मुख्य आकर्षण प्रधान मंत्री द्वारा ‘भारत पर्व‘ का डिजिटल लॉन्च था। गणतंत्र दिवस की झांकियों और सांस्कृतिक प्रदर्शनों के माध्यम से देश की विविधता को प्रदर्शित करने वाला यह कार्यक्रम भारत की समृद्ध विरासत का एक जीवंत प्रदर्शन था।
भारत की विविधता का प्रदर्शन
पर्यटन मंत्रालय द्वारा आयोजित भारत पर्व में वोकल फॉर लोकल और विविध पर्यटक आकर्षणों को बढ़ावा देने वाली पहलों को शामिल किया गया। यह वैश्विक जुड़ाव का एक मंच था, जो दुनिया भर के लोगों को राष्ट्र की पुनरुत्थानवादी भावना के साथ जुड़ने और जश्न मनाने में सक्षम बनाता था।
शैक्षिक और प्रेरणादायक प्रभाव
युवाओं और शिक्षकों को शामिल करना
पराक्रम दिवस ने विशेष रूप से युवा छात्रों और शिक्षकों के लिए एक शैक्षिक मंच के रूप में कार्य किया। इस कार्यक्रम ने नेताजी के जीवन, उनकी रणनीतियों और भारत की स्वतंत्रता के प्रति उनकी अटूट प्रतिबद्धता के बारे में जानने का अवसर प्रदान किया।
नेताजी के प्रेरणादायक उद्धरण और बातें
नेताजी के प्रसिद्ध उद्धरण जैसे “स्वतंत्रता दी नहीं जाती, ली जाती है” और “अपनी स्वतंत्रता की कीमत अपने खून से चुकाना हमारा कर्तव्य है” पर प्रकाश डाला गया, जो उपस्थित लोगों के लिए प्रेरणा और प्रतिबिंब के स्रोत के रूप में काम कर रहा था।
परीक्षा से सम्बंधित महत्वपूर्ण प्रश्न
1. भारत सरकार द्वारा आधिकारिक तौर पर पराक्रम दिवस कब घोषित किया गया था?
2. लाल किले पर 2024 पराक्रम दिवस समारोह का उद्घाटन किसने किया?
3. स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान नेताजी सुभाष चंद्र बोस का आह्वान क्या था?
4. भारत पर्व का आयोजन किसने किया और इसका डिजिटल लॉन्च किस बारे में था?
5. भारत पर्व ने भारत की विविधता को कैसे प्रदर्शित किया?
6. पराक्रम दिवस ने किस प्रकार युवाओं और शिक्षकों को शामिल किया और शिक्षित किया?
7. क्या आप कार्यक्रम के दौरान उजागर किए गए नेताजी के प्रसिद्ध उद्धरणों में से एक का उल्लेख कर सकते हैं?
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