भारत अक्टूबर में अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया के साथ 28वें मालाबार नौसैनिक अभ्यास की मेजबानी करेगा, जिसमें चीन के साथ बढ़ते तनाव के बीच सैन्य समन्वय बढ़ाने के लिए उन्नत पनडुब्बी रोधी युद्ध पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।
भारत इस अक्टूबर में बंगाल की खाड़ी में महत्वपूर्ण मालाबार नौसैनिक अभ्यास की मेजबानी करने की तैयारी कर रहा है, जिसमें संयुक्त राज्य अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया की भागीदारी होगी। यह आयोजन दक्षिण चीन सागर में चीन की आक्रामक गतिविधियों और हिंद महासागर क्षेत्र (आईओआर) में उसके बढ़ते प्रभाव के कारण बढ़ते क्षेत्रीय तनाव की पृष्ठभूमि में हो रहा है। अभ्यास का 28वां संस्करण उन्नत पनडुब्बी रोधी युद्ध पर केंद्रित होगा और इसका उद्देश्य चार देशों के बीच सैन्य अंतर-संचालन क्षमता में सुधार करना है।
सैन्य समन्वय और क्षमता बढ़ाना
भारत के पूर्वी समुद्री तट पर आयोजित होने वाले मालाबार अभ्यास में उन्नत पनडुब्बी रोधी युद्ध और व्यापक नौसैनिक युद्धाभ्यास को प्राथमिकता दी जाएगी। रक्षा सूत्रों ने चार भाग लेने वाले देशों के बीच सैन्य अंतर-संचालन को मजबूत करने में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला है।
जटिल सामरिक परिदृश्य और रणनीतिक उद्देश्य
इस अभ्यास में सतही युद्ध, विमान-रोधी अभियान और पनडुब्बी-रोधी युद्ध के जटिल अभ्यास शामिल होंगे। इन गतिविधियों का उद्देश्य युद्ध कौशल को निखारना और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में समुद्री सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण संयुक्त परिचालन रणनीति को मजबूत करना है।
ऐतिहासिक विकास और क्षेत्रीय महत्व
1992 में भारत और अमेरिका के बीच द्विपक्षीय पहल के रूप में शुरू हुआ मालाबार अभ्यास जापान और ऑस्ट्रेलिया के नियमित प्रतिभागियों के साथ एक बहुराष्ट्रीय प्रयास बन गया है। हाल के संस्करण सिडनी और योकोसुका के तटों पर आयोजित किए गए हैं, जो क्षेत्रीय स्थिरता सुनिश्चित करने और समुद्री व्यापार मार्गों की सुरक्षा में इसके बढ़ते रणनीतिक महत्व को रेखांकित करते हैं।
तरंग शक्ति और बहु-राष्ट्रीय हवाई युद्ध तत्परता
मालाबार अभ्यास के अलावा, भारत अगस्त-सितंबर में अपना पहला तरंग शक्ति वायु युद्ध अभ्यास आयोजित करेगा। इस अभ्यास में न केवल क्वाड सदस्य बल्कि यूके, फ्रांस, जर्मनी, यूएई और सिंगापुर जैसे देशों की वायु सेनाएं भी शामिल होंगी, जो वायु युद्ध क्षमताओं को बढ़ाने में व्यापक अंतर्राष्ट्रीय सहयोग का संकेत है।
चीन की रणनीतिक महत्वाकांक्षाओं पर बढ़ती चिंताएँ
इन सैन्य अभ्यासों की पृष्ठभूमि में दक्षिण चीन सागर में चीन की आक्रामक गतिविधियों और हिंद महासागर में उसके बढ़ते रणनीतिक हितों पर गहरी चिंताएं शामिल हैं। भारत की भूमि सीमाओं और पूर्वी अफ्रीका में विकास में भी इसी तरह की रणनीति देखी जा रही है।
विस्तारित सैन्य गठबंधन और रणनीतिक साझेदारियां
भारत द्विपक्षीय और बहुपक्षीय समझौतों के माध्यम से क्वाड देशों और अन्य प्रमुख सहयोगियों के साथ अपनी सैन्य साझेदारी को सक्रिय रूप से बढ़ा रहा है। ये समझौते नौसेना के जहाजों और विमानों के लिए पारस्परिक रसद सहायता की सुविधा प्रदान करते हैं, जिससे स्थिर हिंद-प्रशांत क्षेत्र को बनाए रखने के उद्देश्य से सामूहिक सुरक्षा उपायों को मजबूती मिलती है।
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वर्तमान तैनाती और अंतर्राष्ट्रीय संलग्नता
मालाबार अभ्यास से पहले, भारत का INS शिवालिक फ्रिगेट और P-8I लंबी दूरी के समुद्री गश्ती विमान RIMPAC में भाग ले रहे हैं, जो हवाई में आयोजित दुनिया का सबसे बड़ा नौसैनिक अभ्यास है। ये गतिविधियाँ भारत की नौसैनिक शक्ति और अंतर्राष्ट्रीय समुद्री सुरक्षा सहयोग के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाती हैं।
सामूहिक कार्रवाई के माध्यम से हिंद-प्रशांत स्थिरता को बढ़ावा देना
आगामी मालाबार नौसैनिक अभ्यास भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया के सामूहिक संकल्प का प्रमाण है, जिसके तहत वे स्वतंत्र, खुले और समावेशी हिंद-प्रशांत क्षेत्र को बनाए रखना चाहते हैं। चीन की क्षेत्रीय महत्वाकांक्षाओं से उत्पन्न चुनौतियों के बीच, इस अभ्यास का उद्देश्य सहयोग में वृद्धि, साझा रणनीतिक उद्देश्यों और मजबूत संयुक्त सैन्य क्षमताओं के माध्यम से क्षेत्रीय स्थिरता को मजबूत करना है।