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Chhatrapati Shivaji Maharaj Jayanti 2025

महान योद्धा और मराठा साम्राज्य के संस्थापक छत्रपति शिवाजी की जयंती के उपलक्ष्य में हर साल 19 फरवरी को छत्रपति शिवाजी महाराज जयंती मनाई जाती है। इस साल, 2025 में, भारत शिवाजी महाराज की 395वीं जयंती बड़े उत्साह के साथ मनाएगा।

छत्रपति शिवाजी महाराज जयंती हर साल 19 फरवरी को महान योद्धा और मराठा साम्राज्य के संस्थापक छत्रपति शिवाजी की जयंती के उपलक्ष्य में मनाई जाती है। उन्हें उनकी बहादुरी, सैन्य कौशल और हिंदू परंपराओं की रक्षा के प्रयासों के लिए याद किया जाता है। उनकी विरासत लाखों लोगों को प्रेरित करती है।

इस वर्ष, 2025 में, भारत, विशेषकर महाराष्ट्र में, शिवाजी महाराज की 395वीं जयंती बड़े उत्साह के साथ मनाएगा।

छत्रपति शिवाजी महाराज जयंती हर साल 19 फरवरी को मनाई जाती है। हालाँकि, यह हिंदू कैलेंडर के अनुसार एक अन्य तिथि पर भी मनाई जाती है, जो फाल्गुन महीने का तीसरा दिन है।

शिवाजी महाराज का जन्म 19 फरवरी, 1630 को वर्तमान महाराष्ट्र के शिवनेरी किले में हुआ था। उनका पालन-पोषण उनकी माँ जीजाबाई ने किया, जिन्होंने उन्हें साहस, न्याय और हिंदू परंपराओं के प्रति समर्पण के मजबूत मूल्यों से परिचित कराया।

बड़े होने पर उन्होंने मुगलों और बीजापुर सल्तनत के खिलाफ लड़ाई लड़ी और मराठा साम्राज्य का विस्तार किया। उन्हें अपनी गुरिल्ला युद्ध रणनीति के लिए जाना जाता है, जिसने उन्हें कई लड़ाइयाँ जीतने में मदद की। 1674 में, उन्हें औपचारिक रूप से रायगढ़ किले में “छत्रपति” (सम्राट) के रूप में ताज पहनाया गया।

शिवाजी महाराज भारत के महानतम नेताओं में से एक हैं, जिन्हें निम्नलिखित कारणों से जाना जाता है:

  • बहादुरी और सैन्य कौशल: उन्होंने कई लड़ाइयों का नेतृत्व किया और चतुर युद्ध रणनीतियों का इस्तेमाल किया।
  • धार्मिक सद्भाव: उन्होंने सभी धर्मों का सम्मान किया और अपने लोगों के कल्याण के लिए काम किया।
  • मराठी भाषा का प्रचार: उन्होंने अपने प्रशासन में फ़ारसी के बजाय मराठी और संस्कृत के उपयोग को प्रोत्साहित किया।
  • स्व-शासन: वे स्वतंत्रता में विश्वास करते थे और विदेशी शासन के खिलाफ़ लड़े।

साहस, न्याय और सुशासन के उनके आदर्श इस दिन को उनके योगदान को याद करने का एक महत्वपूर्ण अवसर बनाते हैं।

शिवाजी जयंती विशेष रूप से महाराष्ट्र में बहुत उत्साह के साथ मनाई जाती है। लोग उनकी विरासत का सम्मान इस प्रकार करते हैं:

  • जुलूस और सांस्कृतिक कार्यक्रम: शिवाजी की मूर्तियों के साथ भव्य जुलूस और पारंपरिक नृत्यों का प्रदर्शन।
  • भाषण और प्रतियोगिताएँ: स्कूल और कॉलेज उनके जीवन पर प्रतियोगिताएँ और भाषण आयोजित करते हैं।
  • मूर्ति सजावट: देश भर में शिवाजी महाराज की मूर्तियों को फूलों से सजाया जाता है।
  • देशभक्ति गीत और नाटक: सांस्कृतिक समूह उनके जीवन और उपलब्धियों पर आधारित नाटक प्रस्तुत करते हैं।
  • अपनी माँ के प्रति समर्पित: उनकी माँ जीजाबाई ने उनके मूल्यों को आकार देने में बड़ी भूमिका निभाई।
  • हिंदू संतों से प्रेरित: वे नियमित रूप से संतों से मिलते थे और उनसे सीखते थे।
  • देवी के नाम पर: उनका नाम भगवान शिव के नाम पर नहीं, बल्कि देवी शिवाई के नाम पर रखा गया था।
  • गुरिल्ला युद्ध के मास्टर: उन्हें उनकी चतुर युद्ध रणनीति के कारण “माउंटेन रैट” कहा जाता था।
  • युद्ध और गठबंधन दोनों में शामिल: उन्होंने लड़ाई लड़ी और ज़रूरत पड़ने पर शांति संधियाँ भी कीं।
  • “स्वतंत्रता एक वरदान है, जिसे पाने का अधिकार हर किसी को है।”
  • “अपना मस्तक कभी मत झुकाओ, हमेशा उसे ऊंचा रखो।”
  • “महिलाओं के सभी अधिकारों में सबसे बड़ा अधिकार माँ बनना है।”
  • “भले ही सबके हाथ में तलवार हो, लेकिन सरकार की स्थापना इच्छाशक्ति से ही होती है।”
  • “जब तुम उत्साही होते हो, तो पहाड़ भी मिट्टी के ढेर जैसा लगता है।”
  • “दुश्मन को कमज़ोर मत समझो, फिर इतना पवित्र भी मत बनो कि खुद को बहुत मज़बूत समझो।”
  • “आत्मविश्वास शक्ति प्रदान करता है और शक्ति ज्ञान प्रदान करती है। ज्ञान स्थिरता प्रदान करता है और स्थिरता जीत की ओर ले जाती है।”
  • “पराजित को छोड़ दो। अपमानित को कभी मत मारो।”

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