डॉ. शारदा सिन्हा को बिहार के लोक संगीत में उनके असाधारण योगदान के कारण “बिहार स्वर कोकिला” की उपाधि मिली। उन्हें मैथिली, भोजपुरी और हिंदी में उनके भावपूर्ण प्रदर्शनों के लिए व्यापक रूप से जाना जाता है, खासकर छठ पूजा के दौरान।
बिहार की प्रसिद्ध लोक गायिका शारदा सिन्हा को उनकी मधुर आवाज़ और बिहारी संगीत में उनके उल्लेखनीय योगदान के लिए प्यार से “बिहार स्वर कोकिला” कहा जाता है। वह भोजपुरी और मैथिली गीतों की अपनी खूबसूरत प्रस्तुतियों के लिए जानी जाती हैं, जिन्होंने लाखों लोगों के दिलों पर कब्ज़ा कर लिया है और बिहार की सांस्कृतिक परंपराओं को संरक्षित करने में मदद की है।
बिहार स्वर कोकिला के नाम से किसे जाना जाता है?
“बिहार स्वर कोकिला” का मतलब है बिहार की प्रसिद्ध भारतीय लोक और शास्त्रीय गायिका डॉ. शारदा सिन्हा। वह मैथिली, भोजपुरी और हिंदी भाषाओं में अपने भावपूर्ण प्रदर्शन के लिए प्रसिद्ध हैं, खासकर छठ पूजा के दौरान। बिहार की सांस्कृतिक विरासत से अपने गहरे जुड़ाव के लिए जानी जाने वाली शारदा सिन्हा ने संगीत में अपने योगदान के लिए पद्म श्री और पद्म भूषण जैसे प्रतिष्ठित पुरस्कार जीते।
डॉ. शारदा सिन्हा को बिहार स्वर कोकिला की उपाधि क्यों मिली?
डॉ. शारदा सिन्हा को बिहार के लोक संगीत में उनके असाधारण योगदान के कारण “बिहार स्वर कोकिला” की उपाधि मिली। उन्हें मैथिली, भोजपुरी और हिंदी में उनके भावपूर्ण प्रदर्शनों के लिए व्यापक रूप से जाना जाता है, खासकर छठ पूजा के दौरान। उनकी आवाज़ बिहार की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक बन गई, जिससे उन्हें पूरे भारत में गहरी प्रशंसा मिली।
डॉ. शारदा सिन्हा कौन थीं?
- जन्म: 1 अक्टूबर, 1952
- मृत्यु: 5 नवंबर 2024
डॉ. शारदा सिन्हा बिहार की एक प्रसिद्ध भारतीय लोक और शास्त्रीय गायिका थीं। 1 अक्टूबर, 1952 को जन्मी, वे मैथिली, भोजपुरी और हिंदी में गायन के लिए प्रसिद्ध हुईं। उन्हें “बिहार स्वर कोकिला” के रूप में जाना जाता है, उन्होंने अपने भावपूर्ण प्रदर्शनों के लिए, विशेष रूप से छठ पूजा के दौरान, पहचान बनाई। संगीत में उनके योगदान के लिए उन्हें 1991 में पद्म श्री और 2018 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया। सिन्हा के गीतों ने बिहार की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित और बढ़ावा दिया।
बिहार स्वर कोकिला के करियर की प्रमुख बातें
डॉ. सिन्हा का करियर तब शुरू हुआ जब उन्होंने प्रयाग संगीत समिति द्वारा आयोजित इलाहाबाद में बसंत महोत्सव सहित विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों में प्रदर्शन करना शुरू किया। वह बिहार में मनाए जाने वाले छठ पूजा के त्योहार से संबंधित अपने लोकगीतों के लिए विशेष रूप से लोकप्रिय थीं। उनके भावपूर्ण प्रदर्शनों ने देश भर के दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया और उन्होंने प्रमुख कार्यक्रमों में प्रदर्शन करना जारी रखा, जिनमें मॉरीशस के प्रधानमंत्री जैसे राजनीतिक हस्तियों की उपस्थिति भी शामिल थी।
बॉलीवुड योगदान
अपने लोक संगीत के अलावा, शारदा सिन्हा ने कई बॉलीवुड गानों को अपनी आवाज़ दी है। उनके कुछ सबसे लोकप्रिय योगदानों में शामिल हैं:
- मैंने प्यार किया (1989) से “काहे तो से सजना“,
- गैंग्स ऑफ वासेपुर से “तार बिजली“, भाग 2,
- चारफुटिया छोकरे से “कौन सी नगरिया“
इन गीतों से उन्हें क्षेत्रीय प्रसिद्धि से परे व्यापक दर्शकों तक पहुंचने में मदद मिली।
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बिहार स्वर कोकिला शारदा सिन्हा को पुरस्कार मिला
डॉ. शारदा सिन्हा द्वारा प्राप्त पुरस्कारों और सम्मानों की सूची इस प्रकार है:
Awards | Year |
Padma Shri | 1991 |
Padma Bhushan | 2018 |
Sangeet Natak Akademi Award | 2000 |
Doctorate in Indian Classical Music | – |