इसरो के अध्यक्ष एस.सोमनाथ ने एक मील के पत्थर की घोषणा करते हुए बताया कि भारत का सौर मिशन, आदित्य-एल1, 6 जनवरी को पृथ्वी से 1.5 मिलियन किमी दूर स्थित लैग्रेंजियन बिंदु एल1 पर पहुंचेगा।
स्थिरता के लिए पैंतरेबाज़ी(Manoeuvre for Stability)
2 सितंबर को श्रीहरिकोटा से लॉन्च किया गया, आदित्य-एल1 लैग्रेंजियन बिंदु एल1 पर पहुंचने पर एक महत्वपूर्ण युद्धाभ्यास को अंजाम देने के लिए तैयार है। यह पैंतरेबाज़ी एक स्थिर कक्षा सुनिश्चित करने के लिए डिज़ाइन की गई है, जिससे सूर्य का निरंतर और गहन अध्ययन संभव हो सके। एस सोमनाथ ने इस उपलब्धि के महत्व पर जोर देते हुए कहा, “एक बार जब इसे सफलतापूर्वक L1 बिंदु पर रखा जाता है, तो यह अगले पांच वर्षों तक वहां रहेगा, और सभी डेटा एकत्र करेगा जो अकेले भारत के लिए नहीं बल्कि पूरी दुनिया के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं।”
ईएसए के साथ अंतर्राष्ट्रीय सहयोग(International Collaboration with ESA)
एक उल्लेखनीय विकास में, यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ईएसए) इसरो के सौर मिशन का समर्थन करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। ईएसए गहन अंतरिक्ष संचार सेवाएं प्रदान करेगा और आवश्यक नई उड़ान गतिशीलता सॉफ्टवेयर के परीक्षण में इसरो की सहायता करेगा। यह सहयोग अंतरिक्ष अन्वेषण क्षमताओं को आगे बढ़ाने के लिए आवश्यक वैश्विक सहयोग को दर्शाता है।
अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के लिए भारत का दृष्टिकोण(India’s Vision for Space Technology)
एस सोमनाथ ने अपने संबोधन में अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में भारत के महत्वाकांक्षी लक्ष्यों पर प्रकाश डाला। उन्होंने भारत के तकनीकी रूप से उन्नत राष्ट्र बनने के महत्व को रेखांकित किया और प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के दृष्टिकोण के अनुरूप एक भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन, ‘भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन‘ के निर्माण की योजना की रूपरेखा तैयार की।
उत्कृष्टता पर ध्यान केंद्रित करना(Concentrating on Excellence)
यह स्वीकार करते हुए कि भारत हर क्षेत्र में उत्कृष्ट नहीं हो सकता है, सोमनाथ ने उन क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता पर जोर दिया जहां देश वास्तव में चमक सकता है। इस रणनीतिक दृष्टिकोण का उद्देश्य भारत को वैश्विक अंतरिक्ष समुदाय में एक प्रमुख खिलाड़ी के रूप में स्थापित करना है। “अंतरिक्ष क्षेत्र में, हम नए अभिनेताओं का उदय देख रहे हैं। हम नई पीढ़ी को समर्थन, प्रोत्साहन और अर्थव्यवस्था का निर्माण करने जा रहे हैं,” उन्होंने कहा।
सारांश (Summary)
- आदित्य-एल1 का लैग्रैन्जियन प्वाइंट एल1 पर आगमन: इसरो के अध्यक्ष एस सोमनाथ ने घोषणा की कि भारत का पहला सौर मिशन, आदित्य-एल1, 6 जनवरी को लैग्रैन्जियन प्वाइंट एल1 पर पहुंचेगा, जो पृथ्वी से 1.5 मिलियन किमी दूर है।
- स्थिर कक्षा के लिए महत्वपूर्ण पैंतरेबाज़ी: आदित्य-एल1 एक स्थिर कक्षा स्थापित करने के लिए एल1 पर एक महत्वपूर्ण पैंतरेबाजी करेगा, जिससे अगले पांच वर्षों तक सूर्य के निरंतर और गहन अध्ययन की सुविधा मिलेगी।
- ईएसए के साथ अंतर्राष्ट्रीय सहयोग: यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ईएसए) मिशन का समर्थन करने, गहन अंतरिक्ष संचार सेवाएं प्रदान करने और आवश्यक उड़ान गतिशीलता सॉफ़्टवेयर के परीक्षण में सहायता करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
- अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के लिए भारत का दृष्टिकोण: अध्यक्ष सोमनाथ ने प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के दृष्टिकोण के अनुरूप ‘भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन’ के निर्माण की योजना पर जोर देते हुए, तकनीकी रूप से उन्नत राष्ट्र बनने की भारत की महत्वाकांक्षा पर प्रकाश डाला।