भारत सघन वायु प्रदूषण संकट का सामना कर रहा है, मुंबई और दिल्ली दुनिया के सबसे प्रदूषित शहरों में से हैं। इस संकट के कारण सालाना 1.6 मिलियन मौतें होती हैं और अरबों का आर्थिक नुकसान होता है
भारत सघन वायु प्रदूषण की समस्या से जूझ रहा है, प्रमुख वायु गुणवत्ता मापने वाली कंपनी IQAir के अनुसार मुंबई दूसरे सबसे प्रदूषित सिटी के रूप में है। राजधानी दिल्ली को भी महत्वपूर्ण वायु गुणवत्ता चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, जो वैश्विक स्तर पर छठे स्थान पर है। वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) प्रदूषण के स्तर को मापता है, जो हवा में सांस लेने से जुड़े स्वास्थ्य संकट का संकेत देता है।
चिंताजनक वायु गुणवत्ता स्तर (Alarming Air Quality Levels)
- मुंबई का AQI 160 तक पहुंच गया, जो सुरक्षित सीमा से कहीं अधिक है, जिसमें सूक्ष्म कण पदार्थ (PM2.5) की सांद्रता विश्व स्वास्थ्य संगठन के दिशानिर्देशों से 14.7 गुना अधिक है।
- दिल्ली में भी, खतरनाक प्रदूषण स्तर का अनुभव हुआ, जो दिशानिर्देशों से 9.8 गुना अधिक था।
मानव लागत (Human Cost)
- द लैंसेट में प्रकाशित एक अध्ययन से पता चला है कि 2019 में भारत में लगभग 1.6 मिलियन मौतें वायु प्रदूषण के कारण हुईं।
- आर्थिक क्षति चौंका देने वाली थी, जिसमें अरबों डॉलर का नुकसान हुआ, असामयिक मौतों के लिए 28.8 बिलियन डॉलर और रुग्णता के कारण 8 बिलियन डॉलर का बोझ बढ़ गया।
सभी राज्यों पर आर्थिक प्रभाव (Economic Impact Across States)
- उत्तर प्रदेश को वायु प्रदूषण के कारण सबसे अधिक $5.1 बिलियन का आर्थिक नुकसान हुआ, इसके बाद महाराष्ट्र ($4 बिलियन), गुजरात ($2.9 बिलियन), कर्नाटक ($2.7 बिलियन), और तमिलनाडु ($2.5 बिलियन) का स्थान है।
- राजधानी दिल्ली में प्रति व्यक्ति सर्वाधिक आर्थिक नुकसान हुआ, जो संकट की गंभीरता को इंगित करता है।
क्षेत्रीय रुझान (Regional Trends)
- भारत, दक्षिण एशिया में, 2000 और 2021 के बीच पार्टिकुलेट मैटर में 54.8% की भारी वृद्धि देखी गई, जो एक बिगड़ती प्रवृत्ति का संकेत है।
- इस समय के मध्य बांग्लादेश, अफगानिस्तान और पाकिस्तान को भी प्रदूषण के स्तर में उल्लेखनीय उछाल देखने को मिला।