ज्ञान और गंगा… - Blogging Haunt - ब्लॉगिंग हॉन्ट्

ज्ञान और गंगा…

मेरी समीक्षाएं…

कृष्ण आनंद के देवता है, मुझे आज तक याद नहीं मैंने कृष्ण की कोई ऐसी तस्वीर देखी हो जिसमें वो उदास हों।सबकुछ छूट जाने के बाद कोई इतना प्रसन्न कैसे रह सकता है, यह कृष्ण से सीखा जा सकता है।

ईश्वर को प्राप्त करने के अनेक रास्ते हैं , अध्यात्म के भाषा मे उसे योग कहते हैं-भक्तियोग, राजयोग,कर्मयोग, हठयोग,ज्ञानयोग। रास्ते अलग अलग हैं और जाते एक ही जगह हैं। मुझे इसमें ज्ञानयोग सर्वश्रेष्ठ लगता है।

ज्ञान की यात्रा एक जन्म को यात्रा नहीं होती बहुत कुछ ऐसा है जो जीवन में सीखने के लिए हमनें ज्यादा मेहनत नहीं किया, एक आध बार उसे प्रयोग किया और आ गया। वास्तव में हमारी आत्मा उसे कई जन्म पहले कर चुकी हैसिख चुकी है और हमारे अवचेतन मन को याद है बस उस पर धूल जम गई है, जरा सा साफ सफाई की ओर वो चमक गई।कुछ ऐसी भी चीजें हैं जो हम हज़ार बार प्रेक्टिस कर लें न सिख पाते कारण हमारे अवचेतन मन उसे पहचानता ही नहीं। ऐसा ही व्यक्तियों के साथ भी है।अनन्त जन्मों की यात्रा में हम बहुत लोगों को मिलते हैं, बहुत को देख के ही हमारे दिमाग मे एक धारणा बन जाती है अच्छे और बुरे के।वास्तव में यह पूर्व जन्मों के व्यवहार पर आधारित होता है।जिनसे भी पूर्व जन्म का लेनदेन है वो टकराते रहते हैं

अंत में, इस किताब का मिलना इत्तफ़ाक था।कुछ दिनों से मन परेशान था।3 दिसम्बर को अपना सिरहाना देखा तो सोचा यहां कृष्ण की कोई किताब होती तो कितना अच्छा होता।फिर ख्याल आया है कि ओह, मैंने अभी तक गीता नही पढ़ा।ज्योतिष विद्या में एक शब्द होता है इरादा करना, थोड़ा विस्तार से कहा जाय तो ब्रह्मांड में अपने तरफ से एक संदेश भेजना कि मुझे इसकी आवश्यकता है।इस घटना के ठीक 20 घण्टे बाद घर लौटने के वक्त मुझे एक प्यारी बच्ची मिली। उसे देख के चार कदम मैं आगे बढ़ गई थी फिर अचानक लगा सुनहले रंग से “श्रीमद्भहवादगीता”लिखा था। मैं लौटकर उस बच्ची से मिली।उस बच्ची ने पूछा डु यू नो प्रभुपाद जी महाराज?और फिर हमने उनको निताई, चैतन्य, नदिया जिला,कृष्णानगर,मायापुर सबकी कहानी सुनाई।वो खुशी से चहक गई।मैंने दो किताबें खरीदी। किताबें खरीदने में कुछ नया न है मेरे लिए ,सप्ताह में एक आध किताबें खरीद ही लेती हूं। इत्तफ़ाक है उस लड़की का मिलना जो कभी भी डेढ़ साल में मुझे वो वहां कभी नहीं दिखी और उसी किताब के साथ 20 घण्टे बाद मिलना जो मुझे चाहिए थी।

ईश्वर के मुख से निकला ज्ञान “श्रीमधभगवादगीता” कहलाया और चरणों से निकली नदी “गंगा”।

ज्ञान और गंगा….

#श्रीमद्भगवद्गीता

By- प्रियंका प्रसाद

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *