अध्ययन एक तरह का सुख है, इसमें क्या सुख है कौन सा रस है यह बस अध्ययन करने वाला व्यक्ति ही जान सकता है। इसी नियम के तहत हम जब भी यात्रा में होते हैं तो कुछ न कुछ पढ़ते रहते हैं।
तो एक दिन इसी तरह की यात्रा में अभी हम डिमाण्ड और सप्लाई कर्व के बारे में पढ़ रहे थे। पढ़ते पढ़ते सोचते हैं कि बताओ आम का सप्लाई थोड़ा और बढ़ जाता तो प्राइस तनि कम हो जाता तो एक ही बार एक पेटी आम किनते। एक आध पन्ना आगे बढ़ते बढ़ते अब बातें थोड़ी जटिल हो जाती है ।अप्वार्ड स्लोपिंग , डाउन वार्ड स्लोपिंग IS कर्व LM कर्व,केन का थ्योरी अभी समझ ही रहे थे कि अगला स्टेशन पर एक लड़की झपाक से आके बैठ गई। अब जगह खाली था त कोई न कोई बैठेगा पर मोबाइल पर चिचिया चिचिया के बात करने वालों का अलग ही स्वाग है। पूरा बोगी को उ जता देना चाहते हैं कि देखो, हम केतना इम्पोर्टेन्ट आदमी हैं और जेसे बतिया रहे हैं उ त जिला ऊपर इमोर्टेन्ट है।
अब तो हम जबरदस्ती कन्सन्ट्रेट करने का कोशिस करते हैं, पर कर ही नहीं पा रहे थे तो सोचे बात ही इनका सुन लें।उसी बात का अंश है….
“जीजा , आम खाने नहीं आइयेगा?गाछी पर बहुते आम आया है, एतना आम आया है कि खाइये नहीं जा रहा है।आम निगचा होते नू त रोज भिजवा देते।”
(अब हम पूरा भकुआ के एक नजर देखते हैं बताओ हम आम के बारे में।सोच रहे थे और इ डिस्कसन आम के ऊपर ही हो रहा है)
“जीजा आप एतना मत सोचिए जिंदगी त ऐसे ही चलता रहेगा पर आप एकदम मस्त रखिये।फुर्सत निकाल के आम खाने आ जाइये”
“जीजा, आप मेरा पिछला रील देखे हैं 21000 लाइक है।”
एक पल को तो हमको लगता है कि हम सेलिब्रिटी के बगल में बैठे हैं।
बातों से लगता है कि जीजा पूछे हैं आज भी रील बनाओगी???
“जीजा, जे दिन नया कपड़ा पहन के जाते हैं न उ दिन ऑफिस में बहुत काम रहता है, मन तो नहीं है पर आप कह रहे हैं तो कोशिश करेंगे। जानते हैं जीजा, घर पर रील नहीं बना सकते, बैकग्राउंड थोड़ा अच्छा होना चाहिए न इसलिये ऑफिस में रील बनाते हैं।”
“जीजा सच सच बताइएगा आपके पास टिकिट कटाने का पैसा नहीं है न इसलिए आप नहीं आ रहे हैं, हम टिकिट कटा देंगे।पिछला वाला कम्पनी अब छोड़ दिये हैं जीजा अब नया वाला कम्पनी न 15000 देता है।”
“जानते हैं जीजा हम कटहर का तरकारी एतना बढ़िया बनाते हैं न कि मीट फेल हो जाएगा।”
जीजा कह रहे हैं एतना प्यार से बोला रही हो तो आ ही जाते पर चकरोड पर माटी न फेंकवा रहे हैं।”
“सुनिए न जीजा एतना धूप में न माटी मत फेकवाईये चकरोड पर करिया हो जाईयगा।”
अब हमारा दिमाग चकरघिन्नी जैसा घूम गया है बताइये जवन शाली को जीजा के करिया होने का हेतना चिन्ता है उ गांव में चकरोड बीसो साल में बन पाएगा???कइसे होगा विकास?? आंय….
आसान बात है विकास होना….
धूप में जीजा करिया हो जाएंगे, बुन्नी के दिन में गल जाएंगे, जाड़ा में जम जाएंगे….कमे फजीहत है?
उधर से जीजा कह रहे हैं जवन सूट हम तुम आई थी त दिलाये थे न उ तुम्हारी दीदी जान गई है, हमको खूब गरिआई है।
हम कहना चाहते हैं लड़की को आपन जीजा को कहो न कि शास्त्रों में इसलिए गुप्तदान का वर्णन किया गया है की ई सब दिन न देखना पड़े, और बात जब साली को दान करने का हो न तो ऐसे दान दीजिये की दाएं हाथ से देने पर बाएं हाथ को भी पता न चले।
“जानते हैं जीजा हम अपने मोबाइल से कौनो लड़का का प्रोफाइल सर्च नहीं करते हैं, इनका मोरले डाउन हो जाएगा।कहेंगे हमको कम भाव देने लगी है।”
(बड़ा तगड़ा मोरल है)
जवन डिस्कसन बोटेनिकल से शुरू हुआ था उ अभी करोल बाग तक चल ही रहा है।आम पके चाहे न पके जीजा के ऊपर सुन सुन के कान त पक ही गया है मेरा।
हम कहना चाहते हैं सुनो लड़की जीजा को पेटीएम कर दो आम वहीं किन के जीजा खा लेंगे, आ आम में अल्फांसो बढ़िया होता है जीजा को बता देना, आ कह देना ढेर आम न खाएं न त हैजा हो जाता है। आ एतना गर्मी में जीजा को दिल्ली बुलाओगी न दिल्ली आके जीजा तुम्हारे पीच जइसन करिया हो जाएंगे हम लिख के दे देते हैं, लू अलगे मार देगा.पापड़ जइसन न पडपडा जाएंगे…आ तुम्हारे उ एतना देर तक जीजा से तुमको फोनिआते हुए देख लिए न समझ रही हो न…..
खैर हमारा दिक्कत ही कि हमकह नहीं पाते हैं इसलिए तो लिख रहे हैं।
अब छोड़िए IS और LM वाला थ्योरी केन्स जिंदा होते, अ उनको ऐसे किरदारों के बगल में बैठ के सफर करना पड़ता त अलग ही थ्योरी लिखे होते..
जीजा का मेंटल पीस इज डायरेक्टली प्रोपोर्सनल टू टाइम टेकेन बाई हर साली इन टेकिंग केयर।