जाके तेरे इनबॉक्स में… - Blogging Haunt - ब्लॉगिंग हॉन्ट्

जाके तेरे इनबॉक्स में…

जाके तेरे इनबॉक्स में….

जाके तेरे इनबॉक्स तक लौट आते हैं हम

हमें भी खुद पर गुमान है यह सोचकर

बिना कुछ लिखे लौट आते हैं हम,

कहेंगे कोई बात तो बात बढ़ जाएगी

जाने कौन सी बात अड़ जाएगी।

ये इनबाक्स कभी

एक घर हुआ करता था,

सुबह तुम प्यार से जगाते थे,

जाने कितनी तुम बातें बनाते थे

ऑफिस के लिए लेट हो जाओगे

ये बार बार बताते थे

सारा दिन तुमसे कितनी

बार बात करने के बहाने ढूढते थे

कितनी शिकायतें होते थे

घर जल्द न लौटने की

शिकायतें थे, ताने थे, उलाहने थे

और भी बहुत कुछ थे।

एक इनबॉक्स था, एक कमरा था

एक किवाड़ था, एक बत्ती थी

एक खूबसूरत सा रिश्ता था,

और ढेर सारी नोकझोंके थी

एक इनबॉक्स था,

उसकी दीवारें नीली थीं

कुछ किताबें थीं

कुछ पेंटिंग्स

और जो भी कमरे

में खाली जगह थी

वहां प्रेम था,यादें थीं

ख़्वाब था।

वो कमरा हमारा था।

एक दिन तुम देर लोटे थे

वजह मुझे मालूम नहीं

शक किया जा सकता था

पर कमरे में शक

कहाँ रहता था?

फिर और देर, फिर और देर,

फिर कई दिन बाद लोटे और फिर

फिर कभी नहीं लौटे थे।

कमरा वही था

दीवारें नीली थीं।

दीवारों पर कविताएँ

लिखी गईं

दरवाजा था,

खुला था

धूप आती थी

बारिश भी, हवा भी

पर जिसके लौट

आने की उम्मीद थी

वो नहीं लौटे थे।

एक इनबॉक्स था

एक घर था

एक कमरा था

एक दरवाजा था

कविताएँ थीं

और बाकी तेरे

इनबॉक्स तक जाके लौट आते हैं हम!!!

सुना है आजकल तुम

नीली शर्ट पहनते हो,

तुम्हारे डेस्कटॉप पर

लगी हुई खंडहर हो रही

नीली दीवार वाली तस्वीर

को कोई समझ नहीं पाया है

कि आखिर वो है क्या

हम बताएं उसे क्या कहते हैं??

पश्चताप की भाषा में

उसे प्रेम का अनुवाद कहते हैं.

By प्रियंका प्रसाद

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