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- ख्वाहिश नहीं मुझे
- मशहूर होने की,
- आप मुझे पेहचानते हो
- बस इतना ही काफी है।
- अच्छे ने अच्छा और
- बुरे ने बुरा जाना मुझे,
- क्यों की जिसकी जितनी जरूरत थी
- उसने उतना ही पहचाना मुझे।
- जिन्दगी का फलसफा भी
- कितना अजीब है,
- शामें कटती नहीं और
- साल गुजरते चले जा रहें है।
- एक अजीब सी
- दौड है ये जिन्दगी,
- जीत जाओ तो कई
- अपने पीछे छूट जाते हैं और
- हार जाओ तो
- अपने ही पीछे छोड़ जाते हैं।
- बैठ जाता हूँ
- मिट्टी पे अकसर,
- क्योंकी मुझे अपनी
- औकात अच्छी लगती है।
- मैंने समंदर से
- सीखा है जीने का सलीका,
- चुपचाप से बहना और
- अपनी मौज मे रेहना।
- ऐसा नहीं की मुझमें
- कोई ऐब नहीं है,
- पर सच कहता हूँ
- मुझमें कोई फरेब नहीं है।
- जल जाते है मेरे अंदाज से
- मेरे दुश्मन,
- क्यों की एक मुद्दत से मैंने न मोहब्बत
- बदली और न दोस्त बदले हैं।
- एक घडी खरीदकर
- हाथ मे क्या बांध ली
- वक्त पीछे ही
- पड गया मेरे।
- सोचा था घर बना कर
- बैठुंगा सुकून से,
- पर घर की जरूरतों ने
- मुसाफिर बना डाला मुझे।
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