मेरी समीक्षाएं…
साहिर लुधियानवी लिखते हैं-
वो अफसाना जिसे अंजाम तक लाना न हो मुमकिन.
उसे इक खूब-सूरत मोड़ दे कर छोड़ना अच्छा…
कितनी खूबसूरत बात कितने खुशनुमा लहजे से कहा उन्होंने।अब,मान लीजिए अगर सफर में मोड़ ही न आये तो……..चलते जाना है साथ साथ ताउम्र,कुछ पाने की ख्वाहिश के बिना, कुछ मांगने की ख्वाहिश के बिना ,यह जानते हुए भी सीधे जाने से भी मंजिल नहीं आएगी पर बस यह सोचकर कि सफर रहेगा तो किसी अपने का साथ भी रहेगा…..
हम बात कर रहे हैं किताब ‘खतों के सफरनामा’ की। खतों का सफरनामा प्रेम पत्रों का बक्सा है जो अमृता प्रीतम और इमरोज ने एक दूसरे को लिखे 1959 से 4 जनवरी 1976 तक।बक्से के खुलते ही तरह तरह की प्रेम चिट्ठियां इधर उधर बिखर जाती हैं। ऐसी चिट्ठियों को पढ़ने का एक अलग उत्साह रहता है।जिस किसी ने भी कभी जीवन मे चिट्ठी लिखी हो और उन चिट्ठियों में जबाब का इंतजार किया हो वो जानते होंगे उस इतंजार में कितनी उत्सुकता होती है।
एक जमाना हो गया जब आज से तीस साल पहले घर पर बुआ की चिट्ठी आती थी भगवान का नाम लेकर उसे खोलना और जोर जोर से पढ़ कर दादी और घरवालों को सुनाना मेरा काम था।अंत में लिखा होता था कम लिखा है ज्यादा समझना। पढ़ने के बाद वो चिट्ठियां एक लोहे के तार में खोंस के दरवाजे के पीछे एक लोहे की कील पर टांग दी जाती। उस लोहे के गोलाकार से बने तार में कुल दो चार किलो चिट्ठियां हमेशा टँगी रहती थी।तो चिट्ठियां पढ़ने की आदत तो काफी बचपन से ही रही।अब जब खतों का सफरनामा किताब देखी तो इसे पढ़ने से मैं खुद को रोक न सकी।
प्रेम पत्र में क्या लिखा है क्या जबाब आएगा नायक नायिका लगभग अवगत रहते हैं,बाकी खतों का काम तो केवल उस बात पर मुहर लगाने का होता है।पर इन खतों की खास बात ये है कि ये खत किसी साधारण महिला ने नहीं लिखे हैं, इसे साहित्य अकादमी पुरस्कार पाने वाली पहली महिला ने लिखा है अपने दोस्त, प्रेमी, चित्रकार इमरोज के लिए। दूसरा, जब यह खत लिखा गया है तब अमृता शादीशुदा थीं, दो बच्चों की माँ थी, अपनी शादीशुदा जिंदगी से नाखुश थीं और इमरोज से उम्र में सात साल बड़ी थीं। उनका यह रिश्ता 45 साल तक चलता रहा,फलता फूलता रहा, चर्चा का विषय भी रहा।इन दौरान दोनों ने अलग अलग देशों की यात्राएं की, अपने अपने काम के सिलसिले में व्यस्त रहे पर एक दूसरे की कमी हर जगह खलती रही।इस दौरान उनलोगों ने खत लिखे एक दूसरे के नाम,यह किताब उन खतों का संकलन है।अब सवाल है कि इन खतों में उन लोगों ने लिखा क्या??पैगाम क्या था??जबाब क्या था?
By- प्रियंका प्रसाद